Monday, January 29, 2007

नयी पत्रिका


संवेद 15

हिन्‍दी में जिन छोटी साहित्यिक पत्रिकाओं ने अपनी एक जगह बनाई है, उसमें संवेद भी एक है. संवेद के अब तक मात्र पन्‍द्रह अंक प्रकाशित हुए हैं. ‘संवेद’ का नया अंक मनोहर श्‍याम जोशी पर केन्द्रित है. मनोहर श्‍याम जोशी पर मधुरेश, मृदुला गर्ग, कृष्‍णदत्‍त पालीवाल, सुधीश पचौरी, जवरीमल्‍ल पारख, सत्‍यकाम, रविकान्‍त, संजीव कुमार आदि ने लिखा है. वहीं विवेक कुमार जैन और मनोहर श्‍याम जोशी की बातचीत भी इस अंक को महत्‍तपूर्ण बनाती है. सच्चिदानन्‍द सिन्‍हा (भूमण्‍डलीकरण और सम्‍प्रेषण का संकट), गिरीश मिश्र (धर्म और आर्थिक विकास), रवि श्रीवास्‍तव (मूल्‍यों का विध्‍वंस और उत्‍तर आधुनिकतावाद) के आलेख भी पठनीय हैं.
तुषार धवल, कर्मेन्‍दु शिशिर, सदानन्‍द मिश्र, राधाकृष्‍ण सहाय, योगेन्‍द्र यादव, श्‍याम दिवाकर, सुमन केसरी, रंजना जायसवाल, मृदुला गर्ग, शिवकुमार मिश्र, उद्भ्रान्‍त, कुमार अरुण, ध्रुव शुक्‍ल, प्रभात रंजन, गौरीनाथ, विजेन्‍द्र नारायण सिंह, नीरज खरे, असगर वजाहत आदि के नवीनतम रचनाओं के आप रू-ब-रू होंगे.


सम्‍पादक – किशन कालजयी
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